लेखनी प्रतियोगिता -12-Dec-2022 गगन
"गगन"
गगन की अपनी इक पहचान
उसमें कितने है राज छुपाएं
यह अभी तक कोई जान ना पाएं ll
धरती उसको बनाकर आंचल
जैसे हो सतरंगी उसका साजन
अपना बदन को वो उससे छुपाएं ll
आके गगन में चांद भी चमके
लगा हो चंदन मस्तक पे ऐसे
पूर्णिमा का चांद वो बनकर
गगन पर अपनी धाक जमाए ll
सूरज भी बड़े शौक से आए
गगन को अपना साथी वो बनाएं
चारों ओर किरणों को बिखराए
गगन को अपने आगोश में ले जाए
शाम ढले लालामी दे जाए
गगन उस लालामी से जाने कितने रंग बनाएं ll
बिखरे रात को तारे गगन में ऐसे
आँचल बनकर उस गगन पे छाएं
बनकर संगी रात भर उसके
सारी पीड़ा उस गगन की हर जाएं ll
घुमड़ घुमड़ कर गगन में बादल
जाने कितनी आकृति बनाएं
देख के बच्चे मन ही मन
हर्षित हो कर तरह - के नाम बताएं ll
धरा की जब भी प्यास जगे
नज़र भी उसकी गगन को देखे
बनके बारिश धरा पर छाएं
अपनी बूंदों से धरा की प्यास बुझाएं ll
बंद पक्षी पिंजरे में बैठे
भाव उनके मन में बस एक ही आए
काश खुले यह पिंजरा इक दिन
खुले गगन को छू कर आए
यही मन की अभिलाषा रह जाए ll
गगन खुला एक सपना है
हर किसी के मन में हसरत ये आए
हम भी गगन को छू के आए
क्या-क्या है ये गगन राज़ छुपाएं
हम भी जाकर कुछ पता लगाएं ll
मधु गुप्ता....
Punam verma
13-Dec-2022 08:57 AM
Very nice
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Madhu Gupta "अपराजिता"
13-Dec-2022 09:02 AM
Thank you😊😊
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Abhinav ji
13-Dec-2022 08:02 AM
Very nice👍
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Madhu Gupta "अपराजिता"
13-Dec-2022 09:02 AM
Thank you😊😊
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Sachin dev
12-Dec-2022 07:29 PM
Nice 👌
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Madhu Gupta "अपराजिता"
12-Dec-2022 09:22 PM
Thank you😊😊
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